भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (64) की प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील पर लंदन हाईकोर्ट में मंगलवार से तीन दिन तक सुनवाई होगी। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने दिसंबर 2018 में माल्या के भारत प्रत्यर्पण का आदेश दिया था। फरवरी 2019 में ब्रिटेन के तत्कालीन गृह सचिव साजिद जाविद ने भी मंजूरी दी थी। माल्या ने प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ अपील के लिए हाईकोर्ट से मंजूरी मांगी थी। हाईकोर्ट ने पिछले साल जुलाई में मंजूरी दी थी।
भारतीय एजेंसियों का दावा- कर्ज लेते वक्त माल्या की नीयत साफ नहीं थी
मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के खिलाफ माल्या को अपील की इजाजत देते वक्त लंदन हाईकोर्ट का कहना था कि सीनियर डिस्ट्रिक्ट जज एम्मा अर्बथनॉट का यह निष्कर्ष गलत था कि भारत सरकार माल्या के खिलाफ प्रथम दृष्टया केस साबित कर चुकी है। हालांकि, निचली अदालत के फैसले के अन्य तथ्यों पर हाईकोर्ट ने कोई सवाल नहीं उठाया। माल्या की वकील क्लेर मोंटगोमरी की दलील थी कि मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भारत की एजेंसियों के गलत दावों को स्वीकार किया। एजेंसियों ने कहा था कि माल्या ने धोधाधड़ी की, किंगफिशर एयरलाइन के लिए कर्ज लेते वक्त उसकी नीयत साफ नहीं थी। उसने बैंकों को गुमराह किया, वह कर्ज चुकाना नहीं चाहता था।
माल्या कई बार बैंकों को पैसा लौटाने का प्रस्ताव दे चुका
हाईकोर्ट से अपील की मंजूरी मिलने के बाद माल्या ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि अदालत के आदेश के बाद वह खुद को दोषमुक्त महसूस कर रहा है। माल्या ने बैंकों को कर्ज चुकाने का प्रस्ताव भी दोहराया था। उसने कहा था कि सारा पैसा ले लो, लेकिन शांति से रहने दो। माल्या पर भारतीय बैंकों से 9,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। वह मार्च 2016 में लंदन भाग गया था। प्रत्यर्पण वारंट पर अप्रैल 2017 में माल्या की लंदन में गिरफ्तारी हुई थी, लेकिन जमानत पर छूट गया।